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अनुभूति में शशि पाधा की रचनाएँ-

नये गीतों में-
खिड़की से झाँके

दीवानों की बस्ती में
मन मेरा आज कबीरा सा
मैंने भी बनवाया घर
स्वागत ओ ऋतुराज

माहिया में-
तेरह माहिये

गीतों में-
आश्वासन
क्यों पीड़ा हो गई जीवन धन
कैसे बीनूँ, कहाँ सहेजूँ
चलूँ अनंत की ओर
पाती
बस तेरे लिए

मन की बात
मन रे कोई गीत गा
मैली हो गई धूप

मौन का सागर
लौट आया मधुमास

संधिकाल

संकलनों में-
फूले कदंब- फूल कदंब

होली है- कैसे खेलें आज होली
नववर्ष अभिनंदन- नव वर्ष आया है द्वार
वसंती हवा- वसंतागमन

नवगीत की पाठशाला में-
कैसे बीनूँ
गर्मी के दिन

मन की बात

 

स्वागत ओ ऋतुराज

बौराई अम्बुआ की डाली
कोयलिया सुर साध रही
अँखुआई हर बगिया क्यारी
पुरवैया निर्बाध बही
किरणों से लिख दिया धूप ने
स्वागत ओ ऋतुराज!

मौसम ने फिर गठरी खोली
धानी चुनरी, पीली चोली
बेल कढ़ा सतरंगी लहँगा
धरती की फिर भर दी झोली
कलियों से लिख दिया धरा ने
स्वागत ओ ऋतुराज!

बिन पँखों के उड़ती फिरती
महुए की मदमाती गंध
भँवरों ने गुनगुन के स्वर में
किया कली से नव अनुबंध
खुशबू से लिख दिया हवा ने
स्वागत ओ ऋतुराज!

धरा गगन की मिलन रेख पर
सूरज कुछ पल और रुका
चंचल लहरों को छूने को
चन्दा बारम्बार झुका
तारों से लिख दिया साँझ ने
स्वागत ओ ऋतुराज!

७ अप्रैल २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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