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अनुभूति में डॉ भावना कुँअर की रचनाएँ-

नए हाइकु-
गर्मी के दिन

हाइकु में
बम विस्फोट और सुनामी

नभ, चाँद और रास्ता (हाइकु में)

तीन छोटी कविताएँ
दो होली गीत

संकलन में-
गुलमोहर- गुलमोहर हाइकु
जग का मेला-तीन शिशुगीत
           तितली रानी
           मकड़ी
नया साल- प्यार के छींटे

         नया साल

अमलतास- साँसों में अमलतास
शुभ दीपावली- दीवाली हाइकु

 

दो होली गीत
1- संदेशा

आज बहारें झूम-झूम गा रही हैं।
अपने करों से दिशाओं को सजा रही हैं।
कल-कल करती झरनों की आवाज़ें
एक मधुर संगीत गुनगुना रहीं हैं।

झिलमिल करती तारों की बारात
देकर निमंत्रण तुम्हें बुला रहीं हैं।
दे रहें हैं सभी खुशियों का संदेशा
पलकें भी मधुर सपने सजा रहीं हैं।

अब होली का है आगमन
सभी ये संदेशा ला रही हैं।

2- आई रे! आई रे! होली

रंग, अबीर, गुलाल लिए
मनमोहक श्रृंगार लिए
आई रे! आई रे! होली
सपनों का संसार लिए

ढोल, मंजीरे बज रहे हैं
घर रंगों से सज रहे हैं
धूम मची है गली-गली
सबको ही आह्लाद किए

आई रे! आई रे! होली
सपनों का संसार लिए

आज ना कोई रुसवा होगा
और ना कोई शिकवा होगा
रिश्तों की मृदु भांग पिए
मानवता का हार लिए

आई रे! आई रे! होली
सपनों का संसार लिए

1 मार्च 2006

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