प्यार के छींटे
सूरज उतरा
नव किरणों संग
देने रोशनी
जन-जन में।
भूलो दुख
व द्वेष भावना
जो भी हो
अपने मन में।
थकन निराशा
व सूनापन
कभी न आए
आँगन में।
नए साल के
नए दौर में
पंछी विचरें
प्रांगण में।
ऊँची रहे
उड़ान हमारी
रहे सफल हम
जीवन में।
प्यार के छींटे
बरसे सब पर
जैसे बरखा
सावन में।
भावना कुँअर
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