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हरि ठाकुर

 

जन्मः १६.८.१९२७, रायपुर में।

शिक्षाः बी.ए., एल एल. बी.

उल्लेखनीयः  स्व. श्री हरि ठाकुर हिन्दी के वरिष्ठतम गीतकारों में एक सम्मानित नाम हैं। इनकी 30 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित और चर्चित रही हैं। छत्तीसगढ के महत्वपूर्ण इतिहासविद्, स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में इनकी महती भूमिका रही है। सृजन-सम्मान की स्थापना श्री हरि ठाकुर ने आज से 10 वर्ष पूर्व की थी।

यहाँ दी गई कविताएँ नए कविता संग्रह "हँसी नाव सी" से संकलित।

  अनुभूति में हरि ठाकुर की रचनाएँ-

गीतों में-
किरन मंत्र
जो सन्नाटे को तड़का दे
फूलों ने अधर न खोले
वृक्ष खोजते अभय शरण
स्वर्णिम संकल नहीं बनूँगा
सूरज का रथ

 

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