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                  डॉ 
                  
                  आदित्य शुक्ल 
                   
                   
                  
                  शिक्षा : एम.एससी., पीएच.डी.-रसायन शास्त्र 
                  
                  आत्मकथ्य : विशेष अंर्तदृष्टि पाकर भी कवि एक 
                  सामाजिक प्राणी ही होता है। औरों की तरह उसे भी जीवन में 
                  संघर्षों का सामना करना पड़ता है। कवि का यह संघर्ष वैयक्तिक नहीं 
                  बल्कि व्यापक होता है। वह इसे शब्द दे कर जन-जन से जोड़ देता है।  
                  
                  दुखों की तुलना तो आदमी पहाड़ से कर लेता है किंतु 
                  सुख को मापने का कोई मापदंड नहीं होता। वह तो महज़ अनुभूति होती 
                  है। मेरे गीत मेरी इन्हीं अनुभूतियों का प्रतिफल है जिनसे यह 
                  दुनिया और भी सुंदर लगने लगती है।  
                  ई मेल  
                  
                  
                  aditya_chem@yahoo.co.in 
                  
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