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अनुभूति में प्रवीण पारीक अंशु की रचनाएँ—

गीतों में-
अब चिता में
कौन दूसरा समझेगा
गीत नया मैं गाता हूँ
या तो मुझको
हल्की धूप

अंजुमन में—
दीवानों का हाल
शायरी की किताब
सागर में हूँ
सुर में गीत
है कौन
 

 

या तो मुझको

या तो मुझको चुप रहने दो 
या मेरे मन की कहने दो 

देख जगत के व्यवहारों को
भले, बुरे में तोलूँगा मैं
अच्छा लगे, लगे ना तुमको
कवि हूँ, कुछ तो बोलूँगा मैं

शिल्प-शैलियों में मत बाँधो
भाव हृदय के बस, बहने दो 

रूढ़िवादिता के बोझे को
कब तक ढोते जाएँगे हम
नये दौर में कब तक आख़िर
गीत पुराने गाएँगे हम

सड़ी-गली परम्पराओं के
टूटे खंडहर को ढहने दो 

पथ के शूलों से घबराकर
पथिक सयाना कहाँ रुका है
सच्चाई से जीने वाला
किसके आगे भला झुका है

मत रोको, मत टोको साथी
मुझको सच का पथ गहने दो

१ फरवरी २०२४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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