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अनुभूति में प्रवीण पारीक अंशु की रचनाएँ

अंजुमन में—
दीवानों का हाल
शायरी की किताब
सागर में हूँ
सुर में गीत
है कौन
 

 

सुर में गीत

सुर में गीत सुनाएँ कृपया
वरना मत ही गाएँ कृपया

तुम जीते, लो मैं हारा, अब
बात न व्यर्थ बढ़ाएँ कृपया

सिर्फ न दिल पर दस्तक ही दें
भीतर भी आ जाएँ कृपया

यार बड़ी मुश्किल से मिलते
रूठे मीत मनाएँ कृपया

अपनी सारी सुध-बुध खो दूँ
ऐसा गीत सुनाएँ कृपया

कर न सकें साकार अगर तो
ख़्वाब न वो दिखलाएँ कृपया

शेरो सुखन की महफ़िल है ये
कूड़ा मत फैलाएँ कृपया

१ जून २०२३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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