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अनुभूति में अरुण तिवारी 'अनजान'  की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
आँख का काजल
आग पानी
आइना
दिल अब भी तुम्हारा है
हर चाल जमाने की

अंजुमन में-
अगरचे मुहब्बत जो धोखा रही है
अब इस तरह से मुझको
आग
क्यों लोग मुहब्बत से
कुछ तो करो कमाल
कहने पे चलोगे
गम ने दिखाए ऐसे रस्ते
दिल में गुबार
नयन टेसू बहाते हैं
पहले से नहीं मिलते
बड़ी मुश्किल-सी कोई बात
ये दुनिया

 

आइना

जिस वक़्त मेरे सामने आता है आइना
सुनता है मेरी, अपनी सुनाता है आइना

सब को ही अपने सामने करता है बेनक़ाब
लेकिन न राज़ अपना बताता है आइना

नज़रों से दूसरों की, बचा ले गए तो क्या
कब झुर्रियाँ किसी की, छुपाता है आइना

पीछे से वार करता है दुश्मन अगर कभी
हर बार मेरी जान बचाता है आइना

‘अनजान’चूर होके भी कहता नहीं है झूठ
सच बात कहना मुझ को सिखाता है आइना

१ जुलाई २०१७