प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 
पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति  

२१. ९. २००९

अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतरनवगीत की पाठशाला

आँखों के गीत

  आँखों के हैं आँसू गीत,
मूक-मूक जो गाते अपने सारे राग प्रणीत।

नीर नहीं वे, जिसमें होती कोई मीठी पीर नहीं,
जिसके अंतस्तल में लगता कोई घातक तीर नहीं,
बुझ जाती है आग स्वयं ही जो जाती कुछ ज्वाल लिए,
जिसके भीतर जौहर होते हो पाती गंभीर नहीं,
आँसू आँखों के ऊपर भी करते अपनी जीत।

नीर नहीं वे जिसके होता तन के भीतर ह्रदय नहीं,
लहरें उठतीं पोली-पोली सुख-दुःख का ले उदय नहीं,
भाव न उठते अंतरतम में डूबे भव की नाव भले,
सर में हो, सरिता में हो, शुचि सागर में हो सदय नहीं,
आँसू मानस पर भी करते अभिनय एक पुनीत।

आँसू अपनी लड़ियों में बह रचते ऐसे हार नए,
जिनको कभी विहाग पहिनते मादक कभी मल्हार नए,
किसी राक से उठते जलधऱ किसी राग से दीप जलें,
चलती नई बयार धरा पर उठें जाग संसार नए,
गाँवे आशावरी भैरवी आँसू आशातीत।

आँसू रजनी के तारों से गाते अपने तार मिला,
तानें करें परस्पर चुंबन परिरंभन में प्यार मिला,
अंतःपुर में मूक वेदना ऊपर नीचे नृत्य करे,
ऊपर पहुँचे जो जीवन का मानव को उपहार मिला,
आँखें ही सुनतीं आँखों का यह नीरव संगीत।

मूक आँसुओं की स्वर-लहरी स्वर गंगा को लोल करे,
स्वर-गंगा से खींच नीर को जग के तरल कपोल करे,
पोंछें हँसी जिन्हें अंबर से सींचें सकरुण मेघ कभी,
एक-एक आँसू का चेतन स्वगंगा ही मोल करे,
आँसू-आँसू में है जीवन जीवन का वह मीत।

--अम्बिका प्रसाद दिव्य

इस सप्ताह

गौरव ग्राम में

अंजुमन में-

छंद मुक्त में-

दोहों में-

पुनर्पाठ में-

पिछले सप्ताह
हिंदी दिवस १४ सितंबर २००९ के अंक में

गीतों में-
रामदरश मिश्र

अंजुमन में-
चंद्रभान भारद्वाज

छंदमुक्त में-
विपिन चौधरी

संकलन में-
मातृभाषा के प्रति ३० रचनाएँ

क्षणिकाओं में-
संगीता स्वरूप


अन्य पुराने अंक

अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर नवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें  लिखें

 

Google

Search WWW  Search anubhuti-hindi.org
प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
 
३०,००० से अधिक कविताओं का संकलन
     
३० ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०