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अनुभूति में सुवर्णा दीक्षित की
रचनाएँ —

नई रचनाएँ-
किसी के कहने से
जो दुनिया से कहूँ

दोस्तों में भी ये अदा हो कभी
मुहब्बत कुछ नहीं
हर वक्त चाशनी में

गीतों में-
कुछ लम्हों पहले

मुक्तक में-
तीन मुक्तक

  तीन मुक्तक

मेरी खुशियाँ

खुशियों का छोटा सा क़तरा मिला है,
आँसू के इक पूरे दरिया के बदले।
हर ग़म के सौ–सौ काँटें सहे हैं,
गुलशन में खुशबू लेने से पहले।


मौत

मौत करती है मुकम्मल ज़िन्दगी को,
बेमौत ज़िन्दगी की अहमियत क्या है?
न हो ग़र रात का क़फ़न दिन पर,
सोचिए उस दिन की अहमियत क्या है?

प्यार

अन्तर्मन में द्वन्द्व छिड़ा है, पर मुसकाए भीगे नैन
इक लम्हे के साथ चले गए, हंसती आंखें मन के चैन
कैसे कहें हम धोखा खाया, कैसे कहें हम गए ठगे
हमने तो खुद ही से माँगी, पल–पल कटती जागी ये रैन

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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