अनुभूति में
विकास चंचल की रचनाएँ
कविताओं में-
कल्लो अम्मा
झूठ या हकीकत
तीन क्षणिकाएँ
सज़ा
हँसी
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झूठ या हक़ीक़त
या तो सब झूठ है
झूठ है ये रिश्ता
झूठ है ये दुनिया
झूठ हो तुम
झूठ हूँ मैं
झूठ है ये शोर...
या फिर ...
सब हक़ीक़त है
तुम हक़ीक़त हो
मैं हक़ीक़त हूँ
हक़ीक़त है ये रिश्ता
ये दुनिया...ये शोर...
ये आवाज़ें...
अगर ये झूठ है
तो ऐ खुदा
बता मुझे... तू "क्यों" है?
और अगर "है"... हकीकत है
तो बता मुझे...तू आखिर "कहाँ" है?
४ अगस्त २००८
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