अनुभूति में
संजीव कुमार बब्बर की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
आँधी
अपाहिज
क्यों फैला है भ्रष्टाचार
मुस्कुराना ज़रूरी है
याद आई
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मुस्कुराना
ज़रूरी है
डाक्टर ने कहा है
मुस्कुराना ज़रूरी है
गम़ में है हर आदमी
रोने से क्या होगा
गम़ में भी मुस्कुराएगा
तो गम़ भाग जाएगा।
सफलताा असफलता
दो पहलू हैं ज़िन्दगी़ के
जो असफलता पर भी मुस्कुराएगा
वही सफल कहलाएगा।
समाज में अपनी जगह बनानी है
तो मिलो सभी से मुस्कुरा कर
सभी आपको चाहेंगे
यदि आप मुस्कुराएँगे।
१५ सितंबर २००० |