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नई हवा

उदीयमान रचनाकारों के स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है नई दिल्ली भारत से संजीव कुमार बब्बर की कविताएँ-

अनुभूति में संजीव कुमार बब्बर की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आँधी
अपाहिज
क्यों फैला है भ्रष्टाचार
मुस्कुराना ज़रूरी है
याद आई

  मुस्कुराना ज़रूरी है

डाक्टर ने कहा है
मुस्कुराना ज़रूरी है

गम़ में है हर आदमी
रोने से क्या होगा
गम़ में भी मुस्कुराएगा
तो गम़ भाग जाएगा।

सफलताा असफलता
दो पहलू हैं ज़िन्दगी़ के
जो असफलता पर भी मुस्कुराएगा
वही सफल कहलाएगा।

समाज में अपनी जगह बनानी है
तो मिलो सभी से मुस्कुरा कर
सभी आपको चाहेंगे
यदि आप मुस्कुराएँगे।

१५ सितंबर २०००

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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