अनुभूति में
सचिन त्रिपाठी
की रचनाएँ—
हास्य व्यंग्य में-
इंटरव्यू
कसाई
धन्नो
भूत
सपना
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कसाई
ये क्या हो रहा है भाई
ये क्या हो रहा है भाई
आदमी बन गया कसाई
ये क्या हो रहा है भाई
छोटे-छोटे मासूमों को
टुकड़ों में काटा
उन हिस्सों को ना जाने
कितनों ने बाटा
ज़मीर के दलाल
आज भी मौन है
कोई नहीं जानता
वो कौन है वो कौन है
आ गए चुनाव फिर
मिल गया मुद्दा नया
लाशों पर होगी राजनीति
बिना दया बिना हया
ये क्या हो रहा है भाई
ये क्या हो रहा है भाई
09 फरवरी 2007
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