धन्नो
बसंती की धन्नो
आज कल रूठी है
कह रही थी
मेरी किस्मत फूटी है
वीरू
बसंती को ले गया
मेरा ध्यान रखना
गब्बर के घोड़े से
कह गया
मुआ गब्बर का घोड़ा
नाच धन्नो नाच धन्नो
दिन भर नचाता है
सांभा का घोड़ा
पहाड़ में खड़े होकर
ढोलक बजाता है
कब तक
इन बेशरमों के आगे
मुझे नाचना पड़ेगा
कौन-सा घोड़ा
वीरू बन कर
मेरी इज़्ज़त के लिए लड़ेगा
09 फरवरी 2007
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