अनुभूति में
सचिन त्रिपाठी
की रचनाएँ—
हास्य व्यंग्य में-
इंटरव्यू
कसाई
धन्नो
भूत
सपना
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भूत
कवि सम्मेलन से लौटते
हो गई काफ़ी रात
दूर तक पसरा सन्नाटा
ना आदमी
ना जानवर की जात
अचानक मेरे सामने
भूत हो गया खड़ा
जिसका कद था
मुझसे दुगुना बड़ा
भूत को अकेला देख
मेरा कवि ह्रदय जागा
सुन कर मेरी कविताएँ
बेचारा भूत
सर पर पैर रख कर भागा।
09 फरवरी 2007
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