अनुभूति
में पुष्यमित्र की रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
उदास चेहरे
गाँव की तकदीर
चुंबन की निशानियाँ
पतंगबाज
पर्वत और नदी
सुबहें
|
|
उदास चेहरे
ईश्वर को पसंद हैं 'उदास चेहरे'
असफलता की निराशा के बाद
जब बच जाती है –फींकी–सी हँसी
ईश्वर हुलस उठता है ऐसे चेहरे देखकर
अपनी कूची से उसे तरह–तरह के रंग देने।
इंसान।
उसकी सर्वोत्तम कृति।
हर पल दुनिया पर छा जाने की कोशिश में जुटा।
सोचा हुआ सच करने वाला ज़िद्दी
और ईश्वर को पसंद हैं, उससे उदास चेहरे।
उसकी कोशिशें,
छटपटाहटें, योजनाएँ, कदम–कयास।
सब कुछ किसी कोने से देखता रहता है,
मुस्कुराता।
और जब हार जाता है
बुझ जाता है और निराश हो जाता है।
तभी मिल पाती है, उसके चेहरे को 'उदासी'।
वह फीकी सी मुस्कुराहट
जो ईश्वर के लिए होती है।
क्योंकि, जाने–अनजाने उसे मालूम होता है
ईश्वर के पास उसे देने के लिए कुछ तो है।
'दे क्यों नहीं देता वह?'
९ मई २००६ |