अनुभूति में नीरज
त्रिपाठी की
रचनाएँ—
हास्य व्यंग्य
में-
थकान
आविष्कार
परीक्षा भवन
यमदूत
शनिवार
|
|
थकान
करते करते काम कभी गर तुम थक जाओ
कार्यालय की कुर्सी पर चौड़े हो जाओ
ऐसे सोओ सहकर्मी भी जान न पाएँ
रहे ध्यान आफ़िस में न खर्राटे आएँ
ऐसा हो अभ्यास बैठे बैठे सो जाओ
कुंभकरण को तुम अपना आदर्श बनाओ
जागो तब ही झकझोरे जब कोई हिलाए
पलक झपकते ही निन्नी रानी आ जाए
ऐसे लो जम्हाई कि दूजे भी अलसाएँ
आंख बंद करते तुमको खर्राटे आएँ
अपने पैर पसार के लेओ चादर तान
जीवन की आपाधापी में जब भी लगे थकान
९ सितंबर २००६ |