होली गीत
सरर सरर सर मारी पिचकारी
ऐसा रंग डारा पी ने
मैं तन मन हारी
बइयाँ खींची मोरी
पकड़ी कलाई
गुलाल मले मुख पे जो
छूटी रुलाई
भीगी चोली और घाघर मोरी
खेलूँ कैसे मैं पी संग होरी
समझे न पी मोरी
इक भी बात
घर कैसे जाऊँ
रंग लै के साथ
जाने जग सारा मैंने लाज तो छोड़ी
पर कैसे खेलूँ मैं पी संग होरी
१ मार्च २००६
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