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अनुभूति में मानोशी चैटर्जी की रचनाएँ
अंजुमन में—
अपनी निशानी दे गया
कोई तो होता
लाख चाहें
ये जहाँ मेरा नहीं है
हज़ार किस्से सुना रहे हो

गीतों में—
होली गीत 

कविताओं में—
आज कुछ माँगती हूँ प्रिय
एक उड़ता ख़याल–दो रचनाएँ
कुछ जीर्ण क्षण
चलो
चुनना
ताकत
पुरानी बातें
मेरा साया
लौ और परवाना
स्वीकृति

संकलन में—
दिये जलाओ- फिर दिवाली है

 

होली गीत

सरर सरर सर मारी पिचकारी
ऐसा रंग डारा पी ने
मैं तन मन हारी

बइयाँ खींची मोरी
पकड़ी कलाई
गुलाल मले मुख पे जो
छूटी रुलाई
भीगी चोली और घाघर मोरी
खेलूँ कैसे मैं पी संग होरी

समझे न पी मोरी
इक भी बात
घर कैसे जाऊँ
रंग लै के साथ
जाने जग सारा मैंने लाज तो छोड़ी
पर कैसे खेलूँ मैं पी संग होरी

१ मार्च २००६

 

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