अनुभूति में
हिना गुप्ता की
रचनाएँ- छंदमुक्त में-
चाहत
सपना
जिन्दगी
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सपना
हिम्मत हार कर अब
कदम पीछे हटाना गवारा न होगा
आसमां की बुलंदियों तक
अब तो जाना ही होगा
सूर्य को पीछे छोड़कर
आगे
जहाँ बसाना ही होगा
चन्दमा की बंजर धरा पर
अब एक गुलिस्ता तो सजाना ही होगा
वसुन्धरा के हर कोने में अब तो
अपना यशगान रचाना ही होगा
सोने की चिड़िया है भारत नाम के शब्दों को
पवन के झोंकों में
अब तो समाना ही होगा
आसमां को
बनाकर अब प्यार का सागर
उसके पार तक जाना ही होगा
हमें भी अपने सपनों को
अब तो
हकीकत से सजाना ही होगा।
२४ अगस्त २००४
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