अनुभूति में असीम नाथ त्रिपाठी
की रचनाएँ
कविताओं में-
इम्तिहान
याद आता है
यों ही मन मे एक ख़याल
क्षणिकाओं में-
क्यों, बीता हुआ ज़माना, ज़रा मुड़ के तो देखो
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इम्तिहान
एक अजीब-सा है भय व्याप्त,
एक अनजानी-सी है घबराहट
किसी को किसी से नही है मतलब,
दिल में है सब के एक अकुलाहटट
हृदय में है जो, वो हो ना जाए
विस्मृत,
इस विचार से दिल हो रहा है विचलित
मस्तिष्क पर पड़ रहा है ख़ासा ज़ोर,
उसकी क्षमता का हो रहा है पूरा प्रयोग.
शनैः शनैः समय हो रहा है क्षरित,
हृदय गति भी हो रही है त्वरित.
भूत पर हावी है इस समय भविष्य,
आशंका है, हो ना जाए अनिष्ट
तीन घंटे का यह संग्राम है
आज इम्तिहान है!
७
जनवरी २००८
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