अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अरविंद चौहान की रचनाएँ

नई रचनाएँ-
सर्दी हाइकु

कविताओं में
ओ मेरी प्यारी वादी
याद आते हैं वे खेत और खलिहान
यों मिली खुशी
शाहजहाँ को फिर न लेना पड़े जन्म

हाइकु में-
गुलमोहर हाइकु

संकलन में-
अमलतास- हँसे अमलतास (हाइकु)
         अमलतास ने ली अँगड़ाई है (गीत)

शुभ दीपावली- फिर दीवाली आई है
होली है- वसंत और होली

 

यों मिली खुशी...

फूलों के रंग से, सौरभ और मकरंद से
पवन की तरंग से, समीर के स्पंद से
यों मिली खुशी,
वसुधा के इस विहंग से।

भँवरे की गुंजन से, तितली की उमंग से
पाखी के रंजन से, दिलों के मृदंग से
यों मिली खुशी,
वसुधा के इस संगम से।

मौसम के बसंत से, महुए की सुगंध से
पीत के अनंत से, बयार की गंध से
यों मिली खुशी,
वसुधा के इस आनंद से।

प्रेयसी की प्रीत से, मन के मीत से
वादी के संगीत से, कोयल के गीत से
यों मिली खुशी,
वसुधा की इस रीत से।

9 सितंबर 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter