गुलमोहर हाइकु
गर्मी बेहाल
गुलमोहर छाँव
शीतल बाहें
धरा भभकी
दे शीतल थपकी
गुलमोहर
छतरी घनी
हरी और लाल सी
हरे वो गर्मी
हँसते फूल
गुलमोहर कहे
कहाँ है गर्मी
पथिक हारा
गुलमोहर तले
जीवनदान
गुलमोहर
दे पाठ जीवन का
शीतल बनो
लाल लाल सी
पाँत लगी अनन्त
गुलमोहर
बरसे रवि
ठंडी छाँव निश्चल
गुलमोहर
छलके लाली
छटा भई निराली
शीतल छाँव
धूल गुबार
समेटे हो निस्वार्थ
गुलमोहर
फूल लाल से
हरी पत्तियाँ सजीं
लजाए धरा
छींटे हैं लाल
रंग गया है मन
गुलमोहर |