अनुभूति में
अभिनव कुमार सौरभ की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
दो क्षणिकाएँ
ए री प्रीतम
जाने कितनी कोशिशें की
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दो क्षणिकाएँ
कविताएँ
कविताएँ
खाने को नहीं देतीं,
न पहनने को,
सिर्फ़ सोच की खुराक दे जाती हैं।
हीनता
हर बार तोड़ा
हकीकत की खिड़की को,
सपनों के कमरे में,
खुद जाती है जो।
२४ दिसंबर २००४
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