अनुभूति में
अशोक कुमार रक्ताले की रचनाएँ-
कुंडलिया में-
नेता
संकलन में-
वर्षा मंगल-
करती नदियाँ शोर (दोहे)
दीप धरो-
राम
आगमन
से
दीपावलि
(सवैया
छंद)
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नेता (कुंडलिया
छंद)
१
बोले हरदम झूठ जो, नेता वही कहाय
करके ओछे काम जो, मोटामाल बनाय
मोटामाल बनाय, निराले सपन सजाता
भूखा सोय गरीब, यह मोबाईल लाता
बोले यही अशोक, बचो धोखे से भोले
नेता वही कहाय, झूठ जो हरदम बोले
२
नेता सा वह आदमी, होता था जो आम
लेकर सबके वोट वो, करता नहिं है काम
करता नहिं है काम, करे सब से गद्दारी
जागी जनता आज, कहे अब उसकी बारी
ऐसा सबक सिखाय, अगर अबभी नहिं चेता
कर दे फिरसे आम, बने कबहूँ नहिं नेता
३
नेता ऐसा चाहिए, बिगड़े काम बनाय
खुशियाँ बाँटे रातदिन, खुबई नाम कमाय
खुबई नाम कमाय, बने जनहित रखवारे
ऐसी जोत जलाय, सभी के भाग सँवारे
नहीं रहे ये मौन, अगर निर्धन है रोता
ऐसे करता काम, तभी कहलाये नेता
१७ दिसंबर २०१२
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