घोर अमावस रात रि कारि दीप जरे अरु भई उजियारी
मुक्त किया जग मार निशाचर आवत है वह राम सवारी
हर्षित मानव मोद करे बिखरी खुशियाँ अरु चौ दिसि
छाई
रावण मार किया जग सुन्दर राज करें अब राम कि बारी
राम बिराजत आन सिंहासन हर्ष प्रजा कर होत दिवारी
नाचत गावत मोद प्रमोद करें नर नार भएल सुखारी
नार पकावत व्यंजन भांति कई जस केसर भात मिठाई
आपस में मिलि सज्जन साजन कण्ठ लगाउत देत बधाई
--अशोक रक्ताले
१२ नवंबर २०१२ |