अनुभूति में
सरोजिनी प्रीतम
की रचनाएँ-
नई हँसिकाओं में-
शैया तथा अन्य हँसिकाएँ
हँसिकाओं में-
कुछ और हँसिकाएँ
तेरह हसिकाएँ
दर्जी की हसिकाएँ
बेहोश तथा अन्य हँसिकाएँ
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दरजी : कुछ हँसिकाएँ
दरज़ी
दरज़ी प्रेमी हो
तो कृपया ध्यान दें
फटी फटी आँखों से उसे न देखें
परदेसी
खिड़की दरवाज़ों के परदे
जब फट जाएँ
परदेसी परदे-सी तब हाँक लगाएँ
कल्पना
कल्पना के क्षेत्र में भी
दरज़ी अभागा
पौ फटती देखी सीने को भागा
गुण
यों भी आप पाएँगे
दरज़ी की पीढ़ियों में भी
जेबें काटने के गुण आएँगे
सीना
सीना फटता है
गीत सुन बिगड़ते हैं
कहते हैं ऐ़से कच्चे धागे आ़खिर लोग
- प्रयोग क्यों करते हैं |