अनुभूति में
सरोजिनी प्रीतम
की
रचनाएँ-
नई हँसिकाओं में-
शैया तथा अन्य हँसिकाएँ
हँसिकाओं में-
कुछ और हँसिकाएँ
तेरह हसिकाएँ
दर्जी की हसिकाएँ
बेहोश तथा अन्य हँसिकाएँ
|
बेहोश तथा अन्य हँसिकाएँ
बेहोश
उनके बेहोश पति को देख
डाक्टर ने पूछा - ''कितनी देर पहले होश में थे कहें?
तुनक कर बोली - ''मैंने तो आजतक -
होश की बातें करते नहीं देखा इन्हें।
अनुबन्ध
दुल्हन को बायीं ओर बिठाकर
विज्ञ पंडित का था कहना
अब दायें-बायें मत ताकना,
सिर्फ मुँह बायें ही रहना।
दुविधा
श्रवण कुमार के बारे में
बच्चों को बताया ...
माता-पिता की सेवा का उसने
ऐसा बीड़ा उठाया
कि युग-युग के लिए उदाहरण बना
सुनते ही एक छात्र का था कहना
''माता-पिता की सेवा ही
मूलमन्त्र था??
तो मैडम - श्रवण कुमार था
किंवा - श्रवण यन्त्र था।
मकबरा
उनके कथन पर
वह सिर नोचता है
कह रही थी वे
विवाह के बाद पत्नी
तो 'सरताज' की
लम्बी उम्र की दुआ माँगती है
और पति
ताज बनाने की बात सोचता है।
सभा
शोक सभा में
लोगों ने जब मृतक की
तारीफों के पुल बाँधे
तथा उनकी उदारता तथा सहायता पर टिप्पणी दी,
तो विधवा पत्नी ने, आँखें तरेर कर देखा ...
तथा दबे स्वर में बोली -
''लगता है मैं ग़लत आदमी के साथ
जी रही थी ...।
घटाना
दस रूपये और तीन रूपये के
डाक टिकट लाये
दुविधा में थे - सात रूपये का
टिकट कैसे लगायें ...
नन्हें ने देखा तो
नन्हें का था कहना -
''दस और तीन की दो
टिकटें लगाकर ...
बीच में 'घटा - का चिह्न
लगा देना।
इन्तज़ार
शराबी को बार-बार पलकें झपकाते देखकर
एक व्यकित ने पूछा - ''ऐसे क्यों खड़े हो?
क्या माज़रा है?
शराबी बोला ... ''मेरी आँखो के आगे
पूरा शहर घूम रहा है
अब आपसे क्या बताऊँ
इन्तज़ार में हूँ - मेरा घर आये
तो अपने घर में घुस जाऊँ।
पानी
उन्होंने मित्र से पूछा
''नहाते समय आँख में साबुन
और नल से पानी चला जाय तो क्या करें?
वे बोले - ''आँख का साबुन तो -
आँख के पानी से, भी धुल सकता है
चेष्टा यही हो कि आँख का पानी न मरे।
११ जुलाई २०११ |