तेरह हँसिकाएँ- |
पर्याय
लड्डुओं और
विधायकों में समानताएँ
दोनों ही फोड़े जा सकते हैं
जब जितन चाहें |
मुस्कुराहट
नवदंपत्ति से
फ़ोटोग्राफर ने कहा
मुस्कुराइए- ताकि आपको
याद रहे
आप कभी मुस्कराते भी थे। |
मरम्मत
मंत्री जी की पत्नी ने
हकलाकर कहा
''सड़कों की मरम्मत...भवनों की मरम्मत
...इनकी मरम्मत का काम
ज़ोरों का चल रहा है।'' |
घर-बार
नवेली दुल्हन से सखियों ने
पूछा
घर-बार कैसा है- ज़रा बताना
हँस कर बोली वह-
''घर घर है- बार नहीं,
उन्हें पसंद नहीं पीना-पिलाना!''
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प्रशंसा
डाकू भी नेताओं की प्रशंसा
करने लगे
तथा स्वयं
भूखों मरने लगे।
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भाव
कवि सम्मेलन के बाद
वे अपने अध्यक्षीय भाषण में
कह गए
ऊँचे भाव अब सिर्फ़
बजट में रह गए |
नींद
वे बताते हैं
लोग जो घोड़े खरीद नहीं पाते
वही घोड़े बेच कर सो जाते हैं।
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चंदा
प्यार से बोली वो
तुम मेरे चंदा हो
तभी बाहर से आवाज़ आई
''गौशाला के वास्ते-
चंदा दो भाई''
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मुद्रा
रूपसी को झपकी लेते देखकर
वे बोले- क्या बताएँ
सोना गिरवी रखा है
शेष हैं यही सोने की मुद्राएँ। |
नर्क
पति- तुम मेरी ज़िंदगी हो
पत्नी- पर मेरी जिंदगी नर्क है
पति- मेरा नर्क तुम्ही हो
दोनों मे क्या फ़र्क है
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रंग
देख कर उसे कुछ ऐसे डरे
कि
काटो तो खून नहीं
घाव थे हरे।
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चक्कर
धरती- सुर्य के गिर्द चक्कर
काटती है
पुराना सिलसिला है
वस्तुतः चक्कर काटने का गुण
हमें धरती से मिला है।
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चिकने घड़े
लोग जो हों चिकने घड़े
उन पर
प्रेम का रंग कैसे चढ़े? |
नल
दमयंती
सोई रही
नल चला गया
यह सुनकर एक
ग्रामीण ने कहा,
इसे भी क्या |
मेरी
रामरक्खी की तरह
नींद आवे है
वह भी सोई रहे
पाणी-शाणी भरे ना
नल जला जावे हैं। |
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