अनुभूति में
चक्रधर शुक्ल की
रचनाएँ-
हास्य व्यंग्य-
आधुनिकता छै छोटे व्यंग्य
तीन छोटी कविताएँ (रामकथा से)
राजनीति- कुछ छोटी
कविताएँ
क्षणिकाओं में-
रंगः चार
क्षणिकाएँ
नेता एक : रंग अनेक
कविताओं मेँ-
आग का लगना
कविता
पिच का कमाल
समय
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रंग- चार क्षणिकाएँ
एक
नेता जी संगत रंग, लाने
लगी मंगेतर नर्सिंग होम आने जाने लगी।
दो
उनका वक्तव्य रंग लाया, विरोधियों का चेहरा
तमतमाया।
तीन
उनका रंग-ढंग रंग लाया, लोगों ने - जीभर रंग
लगाया।
चार
रंग डालने का इससे अच्छा अवसर कभी नहीं
आता, होली में जो भी आता गाल, लाल कर जाता।
1 अप्रैल 2007
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