अनुभूति में
डॉ. सुधा गुप्ता की रचनाएँ-
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हाइकु में-
हाइकु
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होली है-
फूलों
की पाग (हाइकु)
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सात क्षणिकाएँ
१- घर
तिनके, धागे
कतरन, पर
नन्हीं चिड़िया ने
बना लिया
घर ।
२- रात-माँ
बड़ी परेशान थी
रात-माँ
सर्दी न खा जाएँ कहीं
शरारती बच्चे तारे,
कोहरे का कम्बल ओढ़ा कर
ऊँचे पलँग पर
बैठा दिया है।
३- हमजोली
कोहनी तक
चूड़ियों भरे हाथ लिये
वोगनविला
खिलखिलाती है।
पास बुलाती हैं,
खुरदरे गात
हेमन्त ठिठुरे पात
हम जोलियों की
खिल्ली उड़ाती है।
४- सिर्फ़ एक
धुन
उदासी में डूबी सुबह
उदासी में भीगी शाम
उदासी का जाम
जिन्दगी की बाँसुरी पर
सिर्फ़ एक धुन
बजाती हैं।
ए...क तेरा नाम।
५- दो पल में
कहाँ-कहाँ हो आया मन
दो पल में
क्या-क्या पाया
खो आया मन
दो पल में…
६- इंतज़ार
इन्तज़ार
पलकों पर काँपते
आँसुओं की बन्दनवार
की
पुतली की रोशनी में
झिलमिलाते
दियों की कतार।
७- फाँस
बदल गया मौसम
फूल गए
अमलतास
करक गई
ज़ोर से
फिर कोई फाँस…
१४ जुलाई २०१४
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