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१
फूलों की पाग
बाँधी पेड़-पौधों ने
सजी बारात
२
तपे लोहे-से
आम के नए पत्ते
उकसा गए
३
किशोरी डाल
किसलय लपेटे
शर्म से लाल
४
फूलों की टोपी
हरियाली का कुर्त्ता
वसन्त दूल्हा
५
अनार -झाड़ी
लाल फूलों से भरी
लाज से झुकी
६
शोख़ बोलियाँ
हवा में ठुनकती
बुलबुल की
७
चैरी का पेड़
पीताभ औ’ गुलाबी
फूलों से सजा
९
दहक उठी
बुरूँश -पोरों पर
चिनगारियाँ |
९
चिनार -पत्ते
कहाँ पाई ये आग
बता तो भला !
१०
नीचे घाटी में
डैफ़ोदिल खिले हैं
दीये जले हैं!
११
बोगनबिला
किसने मसले गाल
कौन मिला?
१२
फूटी कोंपल
अंजीर के पेड़ में
कूका ‘बसन्ता’
१३
नाचती हवा
डफली बजाता है
प्रेमी महुआ
१४
बाँसों के वन
मनचली हवा ने
बजाई सीटी
१५
‘वधू’ बहार
फूल-पालकी लाया
‘वर’-वसन्त
डॉ. सुधा गुप्ता
२१ मार्च २०११
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