अनुभूति में सुभाष
चंद्र लखेड़ा की रचनाएँ-
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विज्ञानकु: नवाचार
फले विज्ञान
सपने हों हमारे
मिटे अज्ञान।
करें विचार
कैसे हो नवाचार
स्वप्न साकार।
करें प्रयोग
बुद्धि का हो सदैव
सदुपयोग।
हम न कम
इतना हो भरोसा
पूरी हो आशा।
होंगे सफल
निराश न हो मन
स्वर्णिम कल।
१ मई २०२२ |