अनुभूति में डा
राजेन जयपुरिया की रचनाएँ-
नए हाइकु-
ओसारे पर
हाइकु में-
दस हाइकु
कविताओं में-
तुम्हीं बताओ
संकलन में-
हिंदी की १०० सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
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तुम्हीं बताओ
तुम्हीं बताओ आती हो क्यों
तुम मेरी सुधियों के द्वार?
कूक-कूक कर अमराई में
कोयल मुझे बुलाए
और पपीहे की पिउ-पिऊ
रह-रह कर मन को अकुलाये,
मींच लो नैन हौले से आकर
डाल दो प्रिय, कंदुन भुज-हार!
गीत तुम्हारा गूँज रहा है
देखो मलय समीरण में
किसने छवि अंकित कर दी है
दिशा-दिशा औ कण-कण में?
विरह तप्त श्वासों पर सजनी
कर दो तुम रसवन्ती फुहार!
विहगों के कलरव में लगता
है प्रिय तुम ही बतियाती
कलियों की चटखन में जैसे
तुम ही हो मघु बरसाती
ढूँढ़ा तुमको गिरि कानन में
मिलीं, बनीं तुम आँसू-धार!
स्वप्निल क्षण सुन्दर सज देतीं
स्नेहिल अपनी चितवन से
पंकिल यह जीवन भर जाता
कुंकुम, अक्षत औ चन्दन से,
बनो न निष्ठुर तनिक सुनो भी
रहा युगों से तुम्हें पुकार।
९ जुलाई २००५ |