अनुभूति में डा
राजेन जयपुरिया की रचनाएँ-
नए हाइकु-
ओसारे पर
हाइकु में-
दस हाइकु
कविताओं में-
तुम्हीं बताओ
संकलन में-
हिंदी की १०० सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
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दस हाइकु
अंजुरी भर
आशीष रहा साथ
सारी उमर
कुमुद कली
शरद जुन्हाई में
पुलक खिली।
उमड़े व्यथा
टेढ़ी इबारत-सी
उम्र की कथा।
पकते आम
डरते झड़ने से
सुबहो-शाम।
कारी डोंगरी
उकड़ूँ बैठी रही
विहान तक।
तब न अब
होली ही न धमाल
सूना चौपाल।
बजे मादक
झूमते ताल पर
काले बादल।
श्यामल रात
जुगनू पहचाने
अमां की घात।
प्रकृति सारी
एक सुघड़ नारी
लगती प्यारी।
स्रष्टा पे भारी
सृष्टि में भागीदारी
ऐसी है नारी।
नीड़ बुनती
गौरैया गाती गीत
अबोली प्रीति।
गाती सगुन
नाचे साँझ की बेला
मीठी है धुन।
लगी है झड़ी
छू आऊँ नीला नभ
थाम के लड़ी।
१६ मई २००५ |