अनुभूति में डा
राजेन जयपुरिया की रचनाएँ-
नए हाइकु-
ओसारे पर
हाइकु में-
दस हाइकु
कविताओं में-
तुम्हीं बताओ
संकलन में-
हिंदी की १०० सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ
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ओसारे पर
(पाँच हाइकु)
ओसारे पर
बुड़बुड़ा रही है
दादी-सी हवा।
गुलमोहर
गाल फुलाये, ग्रीष्म
में दिन भर।
छाये बादल
लो बजायें मादल
रिसे काजल।
मारे शर्म के
पड़ जाता है पीत
भोर में चाँद।
मेघ गरजा
पुरवाई की डाँट
सुन लरजा।
५ जुलाई २०१० |