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अनुभूति में योगेश समदर्शी की रचनाएँ

गीतों में-
आओ खेलें खेल
आज कलम उनकी जय बोल
खाना सीख
चुलबुल कर

मस्ती वाली बातें कर

 

 

आज कलम उनकी जय बोल

जो चापलूसी के पैसे खुल कर देते हों
जो माल हमेशा ही मिल-जुल कर लेते हों
जो खुद खाएँ तो टुकड़ा तुझको भी डालें
खुद के घर में कुत्ते सा तुझको भी पालें
जो दाग मिटाने में तेरा उपयोग करें
और नाम कमाने में तेरा उपयोग करे
उनपर खंड काव्य और गद्यांश तू लिख,
अच्छा लिख कर खूब दबा तू उनकी पोल
आज कलम उनकी
जय बोल

छाप छाप कर
अखबारों के सब पन्ने
कितनी दौलत पहुँच गयी तेरे कन्ने
हवा बना कर झूठी सच्ची वाली तू
बातें करता कितनी अच्छी वाली तू
आदर्शों के सब फण्डे अजमाता चल
खबर दबा कर भी तू खूब कमाता चल
जिनको सब कहते हों चोर उचक्का खूब
उसको भी तू खुल कर सीधा सच्चा बोल
आज कलम उनकी
जय बोल

घोटालों की
हाट सजी है तो भी जा
सनसनियों की नई धुनों को खूब बजा
टीआरपी के खेल में लम्बी चालें चल
तू भी दाँव खूब कमाई वाले चल
आदर्शों की बात पुरानी मत करना
आधुनिक बातों से अपना घर भरना
पैसे ले कर खूब बजा अब उनका ढॊल
आज कलम उनकी
जय बोल

१५ जुलाई २०१३

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