गीतों में- कैसे हैं चमत्कार दूरी बिखरे हिमखंड वोटर उवाच
इतने वर्षों में केवल दुनिया छोटी हुई किलों की दूरियाँ बढ़ी
कोयल बागी हुई भूमिगत बागों में कौवों का बहुमत गिद्दों की अगवानी में डाल-डाल उखड़ी
उतर गया शेरों का चश्मा अजरज, कहीं न कोई सदमा
जंगल में उल्लू के कुल- की ही शाख बढ़ी
१५ मार्च २०१०
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