अनुभूति में
टीकमचंद ढोडरिया
की रचनाएँ-
नये दोहों में-
माँ की सेवा कीजियेगीतों में-
ऊँचा पेड़ खजूर का
प्रिय तुम्हारी बात
मुखर हो गया मौन
मन को हरा रखे
रिमझिम बरसे
कुंडलिया में-
नवल प्रभात
दोहों में-
बिटिया की मुस्कान |
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माँ
की सेवा कीजिये
माँ की सेवा कीजिए माँ का नेह अपार
माँ पूनम की चाँदनी माँ अमृत की धार
माँ की पूजा से बड़ा और नहीं है काम
माँ मन्दिर माँ तीर्थ हैं माँ हैं चारों धाम
भटके हम जिसके लिए नगर गांव हर ठाँव
वह सुख तो बिखरा पड़ा माँ आँचल की छाँव
सावन की बरसात हैं पीपल की हैं छाँव
माँ सर्दी की धूप हैं माँ खुशियों की ठाँव
घर भर की चिंता रखे करे काम दिन रात
दुःख सहके सुख बाँटती ऐसी मेरी मात
हँसता बालक देख के मन ही मन मुस्काय
वह रोये तो मात भी सौ सौ अश्रु बहाय
माता के इस त्याग का क्या उदाहरण होय
सूखे में शिशु को रखें खुद गीले में सोय
धन दौलत पद नाम या हो कोई उपहार
माँ तेरे आशीष के आगे सब बेकार
मेरी भी चाहत रही पाऊँ तेरा प्यार
पर सबको मिलता कहाँ माँ का नेह दुलार
१५ जनवरी २०१६
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