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अनुभूति में टीकमचंद ढोडरिया की रचनाएँ-

गीतों में-
ऊँचा पेड़ खजूर का
प्रिय तुम्हारी बात
मुखर हो गया मौन
मन को हरा रखे
रिमझिम बरसे

कुंडलिया में-
नवल प्रभात

 

ऊँचा पेड़ खजूर का

ऊँचा पेड़ खजूर का भइया
किसका भला करे

महलों में है सुख की छइया
कुटिया में तड़फे है दुखिया
कुटिल-तन्त्र आरी भइया
जन पर चला करे

ऊँचा पेड़ खजूर का भइया
किसका भला करे

भूख गरीबी भय मँहगाई
अब के मिट जायेगी भाई
हमदर्दी की बतिया भइया
नित-नित छला करे

ऊँचा पेड़ खजूर का भइया
किसका भला करे

शिक्षा उनको साधन उनको
पदवी और सिंहासन उनको
'होरी' का ललवा तो भइया
सबको खला करे

ऊँचा पेड़ खजूर का भइया
किसका भला करे

१९ जनवरी २०१५

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