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अनुभूति में सुरेन्द्र सुकुमार की रचनाएँ-

गीतों में-
कहानी सुनाने के दिन
गौरैया धूप
चमचा जोरदार
तन तो रेगिस्तानी टीला

मैं कैसे बरसाऊँ पानी

संकलन में-
धूप के पाँव- धूप के पाँव
वर्षा मंगल- सावन की पहली बारिश

  कहानी सुनाने के दिन

मैं कैसे बरसाऊँ पानी
मेरी तो गागर खाली है

तुमने पेड़ धरा के काटे
पोखर ताल सभी हैं पाटे
शहर सभी पत्थर कर डाले
धुआँ छोड़ वाहन फर्राटे
कैसे प्यास बुझाऊँ बोलो
मेरी तो छागल खाली है

मैं कैसे बरसाऊँ पानी
मेरी तो गागर खाली है

नदिया रोती है मेरे बिन
उसको चैन नहीं है पल छिन
सूखी दूब निहारे मुझको
लता कर रही देखो किन किन
इनका दर्द सहा ना जाये
पर मेरा सागर खाली है

मैं कैसे बरसाऊँ पानी
मेरी तो गागर खाली है
1
अगस्त २०१४

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