अनुभूति में
सुरेन्द्र सुकुमार
की रचनाएँ-
गीतों में-
कहानी सुनाने के दिन
गौरैया धूप
चमचा जोरदार
तन तो रेगिस्तानी टीला
मैं
कैसे बरसाऊँ पानी
संकलन में-
धूप के पाँव-
धूप के पाँव
वर्षा मंगल-
सावन की पहली बारिश
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चमचा जोरदार
गौरय्या धूप आँगन में उतरी
चुगे क्षणों के दाने
कोई बिरहा गाये कोई गाये
मिलन के गाने
गगरी भरने को पनघट पे
चली उमर भौजाई
आधे मारग भरीं कुलांचें
आगे कमर झुकाई
गगरी फिर भी रीती ज्वानी
ननदी मारे ताने
फटी रह गयीं आँखें ऐसी
चीखी रात टिटहरी
धीरे धीरे बढ़ी पालकी
पार कर गयी देहरी
व्यर्थ ज़िन्दगी बीती कोई
माने या न माने
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४ अगस्त २०१४ |