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दुनिया
देखी
थानेदार कहूँ क्या मेडम
दुनियाँ देखी अन्दर से
चरमर चूँ थे रिश्ते-नाते,
लेकर दिल से जोड़ा तुमने
हमने रोका-टोंका जब भी,
माना हमको रोड़ा तुमने
आँखों में हम
नाचे-फुदके
रहना साँप-छुछुंदर से
महुवे कूँच खड़ी कर पाए
और आम गदराना जानें
रस की गंध लिये हम चहके
उससे कब बतियाना जानें ?
खट्टे-मीठे
अनुभव जीकर
हरदम रहे चुकंदर से
चार-मुकइया तेंदू-खाए
बेर-करौंदा जस का तस है
हमें पुरानी खोली अपनी
लगती अब भी खस-खस है
नदिया-नाले
नहीं रिझाते
नाते गहर समन्दर से
१ फरवरी २०२३
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