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अनुभूति में रमेश पंत की रचनाएँ— 

गीतों में-
आए हम शहर
गंधपूरित हैं हवाएँ
गूँगे प्रश्न हुए
नेह भीगे पत्र
स्वर्णपंखी साँझ
सूखी नदी-सा

  स्वर्णपंखी साँझ

शाम सिंदूरी
गगन लोहित हुआ!

कुहनियों के
बल, हथेली पर टिकाकर
गाल, लेटी धूप
मुग्ध मन से
है निरखती स्वर्णपंखी
साँझ का यह रूप

द्वीप मरकत
भाल पर शोभित हुआ!

झिलमिलाते
चाँद-तारे
नदी-जल में तैरते-से दीप
देखते हैं
दृश्य अपलक
तल-अतल में मीन-घोंघे-सीप

भूल सब कुछ
चर-अचर मोहित हुआ!

२४ अगस्त २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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