गूँगे प्रश्न हुए
उत्तर कहाँ तलाशें
लगता वे ही प्रश्न हुए!
फूलों की
मोहक बस्ती में
प्रस्तुत हुए बबूल
रंग-गंध की
भाषाओं के
घायल हुए उसूल
कत्लगाह में
यहाँ रोज़ ही
जमकर जश्न हुए!
ना जाने
खो गए कहाँ वे
दूध-धुले एहसास
गुलमोहर की
शामें अक्सर
मिलतीं बहुत उदास
क्या-कुछ सुनें-सुनाएँ
अब तो गूँगे प्रश्न हुए!
२४ अगस्त २००९