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अनुभूति में राम सेंगर की रचनाएँ-

गीतों में-
एक गैल अपनी भी
किसको मगर यकीन
धज
बीजगुण
पानी है भोपाल में
रहते तो मर जाते

 

पानी है भोपाल में

भैंस कटोराताल में

हम भी क्या हैं
आधे पागल
छलका डाली पूरी छागल
अटक गई है प्यास हलक में
पानी है भोपाल में

ऊधो कहते
माधो सुनते
अपनी-अपनी तानी बुनते
बहस छिड़ी जीने मरने पर

पान दबे हैं गाल में

धींगा मस्ती
का आलम है
गुल चिराग है पगड़ी गुम है
फुदक रही है एक चिरैया
बहेलिया के जाल में


२६ सितंबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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