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अनुभूति में पं. रामप्रकाश अनुरागी की रचनाएँ— 

गीतों में-
क्या आँसू क्या आहें
कुछ दिन और
तुम कभी वहाँ आना
मत छेड़ो मेरी नाव
हम बहुत गेय है

 

 

हम बहुत गेय है

हम बहुत गेय है,
गा लो !

हम बन्धन में बँधे छन्द है
मात्राओं में पूरे हैं,
यति, गति, स्वर, लय, ताल सधे हैं
हम बिन गीत अधूरे हैं
हम श्रेय-प्रेय हैं,
पालो !

हम अवकाश कल्पनाओं के
शब्दों के नटनागर है,
धरती जैसे हम यथार्थ हैं,
अर्था के हम सागर हैं.
हम अपरिमेय हैं,
छा लो !

जीवन की रसवती धार के,
हाँ, हम ही तो उद्गम हैं,
शोषण-पोषण समर-भूमि में,
शेष बचे हम ही नम है,
हम अनुपमेय हैं,
भालो !

८ अक्तूबर २०१२

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