अनुभूति में
ओम धीरज
की रचनाएँ-
गीतों में-
अलग-अलग दामों पर
कैसे कह दूँ
खबर बनाम बतकही
जन्म-दिवस बिटिया का
फेसबुक बनाम घर की खबर
साथी बोलो
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फेसबुक बनाम घर की
खबर
जाने देश जहान
फेसबुक
घर की खबर नहीं।
बाँये बाजू कौन
दाहिने को भी पता नहीं,
किन्तु कनाडा के साथी का
लिखते पता सही,
आग लगे पर
इण्टरनेट से
ढूँढें बहुत मगर
हैण्ड पम्प तक
जाने की फिर
मिलती नहीं डगर।
सड़ता पानी आस-पास, लेकिन
नहीं उलीचें
ब्लाग और ट्विटर पर जाकर
तलवारें खींचें
बोये क्रोध हताशा सींचें
लाखों उलझाएँ,
प्याले में तूफान उठाएँ
मौके लहर नहीं।
कोसे रंज परोसे पीड़ा
शब्दों में रोयें
भूख गरीबी भूतल तड़पे
वे कोठी सोयें
लाखों बूँदें मिलें अगर तो
दरिया बन जाये
किन्तु बुझायें प्यास
किसी की
होती पहल नहीं।
८ दिसंबर २०१४ |