अनुभूति में
ओम धीरज
की रचनाएँ-
गीतों में-
अलग-अलग दामों पर
कैसे कह दूँ
खबर बनाम बतकही
जन्म-दिवस बिटिया का
फेसबुक बनाम घर की खबर
साथी बोलो
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अलग-अलग दामों पर
अलग-अलग दामों
पर क्योंकर
बेच रहे हैं लोग।
भरे बदन पावरोटी-से
कुछ हैं पास खड़े,
'डागी', कार, फूल-से बच्चे
नजर फलाँग पड़े
बिना रेट पूछे नोटों को
फेंक रहे हैं लोग
काले के हैं पास खड़े
कुछ कटी सुपारी-से
मोल-भाव करते हैं लेकिन
बारी-बारी से
कई बार गिनकर सिक्कों को
सौंप रहे हैं लोग।
देशी और विदेशी का यह
गोरख-धन्धा है
रंग-भेद या चकाचौंध तो
करता अन्धा है
गुण को छोड़ रंग पर रोटी
सेंक रहे हैं लोग
८ दिसंबर २०१४
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