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अनुभूति में नीलम श्रीवास्तव की रचनाएँ

गीतों में-
गाँठ सवालों की

गुमसुम गौरैया
ठंडा पानी
ठहरी हुई नदी
ढूँढ रहे इस घर में 

`

ठंडा पानी

शक्ल वही केवल परिचय
हर रोज बदलता है

शोध शोध संज्ञाएँ रचना तै पंडित दिन का
ठंडी पड़ी अँगीठी कहती खोटा हर सिक्का
रात रात भर छत पर कोई
गिद्ध टहलता है

व्याख्याओं के बर्फ घरों में धूप हुई बदरी
बादल वर्षा और शीत पर कागज की छतरी
रेत महल सा हर आश्वासन
कण कण गलता है

कथरी ओढ़े पड़ी गुमशुदा गलियाँ हैं कब से
घूर रही हैं राजपथों को दो मुट्ठियाँ कसे
कभी कभी ठंडा पत्थर भी
आग उगलता है।

१ जुलाई २००६

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