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अनुभूति में लक्ष्मी नारायण गुप्ता की
रचनाएँ-

गीतों में-
ऐसे दुर्दिन आन पड़े हैं
क्या हक मुझको
जीना है बस ऐसे वैसे
दिन दिन बढ़ते भ्रष्टाचारी
हम भी कैसे पागल जैसे

 

जीना है बस ऐसे वैसे

जीना है बस ऐसे वैसे
आये बादल, जाए बादल
गरज गरज तरसाए बादल
आया गया
राम जैसे

दक्षिण पंथी, वाम पंथी
पूरब पंथी, पश्चिम पंथी
और न जाने
कैसे कैसे

खेत रहा सूखा का सूखा
देश रहा भूखा का भूखा
समय बीतता
जैसे तैसे

नेता हुये स्वार्थी बादल
राजनीति में घोलें काजल
बादल काले
धन के भैंसे

फूल रही कालाबाजारी
शासन की भ्रष्टों से यारी
बना रहा
हर कोई पैसे

२ सितंबर २०१३

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